Friday, November 11, 2011

यादों के आसमान में जगमगाते गुजरे लम्हों के सितारे

अभी अभी जिस वक्त को याद कर रहा हूँ,आज उससे काफी दूर निकल आया हूँ मै।ना अब वैसी स्वच्छंदता है मेरे उन्मादों में और ना ही प्रेम की वैसी स्मृति है आज।आज कई जिम्मेदारियों में दबा दबा सा ख्वाहिशों का वो परिंदा थोड़ी दूर निले गगन में भी उड़ पाने में असमर्थ है।बस भविष्य की कई उम्मीदें और अवसर मुझे मेरे सामने दिख रहे है।काफी व्यस्त हो गया हूँ मै आजकल।पर अपनी व्यस्तता के बावजूद भी मै अक्सर रात में थोड़ा पहले ही अपने बिस्तर पर चला जाता हूँ,ताकि कुछ क्षण तुम्हारी यादों के आसमान में अपने गुजरे सुनहरे लम्हों के सितारों को चमकता देख सकूँ।स्मृति में ही सही पर अब भी तुम रोज मेरे ख्यालों में आती हो,जब जब मै थक कर आँखों को मूँदता हूँ चैन के लिये तुम्हारी यादें मुझे फिर बेचैन कर जाती है और मै कई साल पिछे चला आता हूँ तुम्हारे साथ साथ।
अब माहौल सुकुन का होता है।ना कोई चिंता,ना कोई परवाह और ना ही कोई चाहत किसी और कि तुम्हारे सिवा।अब बस तुम होती हो और मै।ना कोई भूत होता है और ना ही कोई भविष्य।बस वर्तमान की चौखट पर खड़े हम तुम सुनहरे कल के सपने संजोते रहते है।कभी तुम नाराज हो जाती हो मेरी खामोशि से और फिर मै तुम्हें बतलाता हूँ अपनी खामोशि का कारण।शायद कल की व्यस्तता और जीवन के बदले हुये स्वरुप की झलक पा लेता हूँ मै और कभी कभी सोचने लगता हूँ कल के बारे में।हर रात तुम्हारा इंतजार और चाँदनी ओढ़े रात में चाँद के सामने तुम्हारा दीदार।नहीं भूल सकता मै कभी उन गुजरे लम्हों को।बस प्यार,प्यार और प्यार।ना कोई तकलीफ,ना कोई गुस्सा बस प्यार।जिंदगी में पहली बार इतना प्यार पाकर मै बड़ा अधीर हो जाता हूँ।सोचता हूँ क्या है जिंदगी वर्तमान का यह स्नेहाकाश या भविष्य का धुँधला सा वो संघर्षरत जीवन।काश कितना अच्छा होता सब कुछ बस यूँही इसी पल थम जाता और मै प्रेम के उस अनोखे बाढ़ में खुद को प्रवाहीत कर देता तन,मन और जीवन के साथ।
मौसम का बदलता नजारा और आँखों में बसा अपने प्रेम का सितारा चमकता रहता हर दिन एक नयी मिठास और अपनत्व के संग।अपना रिश्ता धीरे धीरे बहुत ही प्रगाढ़ होता जाता और तुम स्वयं मुझमे विलीन होती जाती किसी स्मृति की कोरी कल्पना सी।अब तुम मेरे सामने ना होती पर तुम्हारा स्मरण हर क्षण मेरे जेहन में बसा होता।कभी मै गीतों में सुनता तुमको तो कभी चाँद में ढ़ूँढ़ता।कभी सपनों में मिल जाती तुम तो कभी दूर गगन से परी सी आती तुम।कई बार पागलपन की हद पार कर जाता मै और बेवजह ढ़ूँढ़ता फिरता तुमको यूँही महफिक महफिल।और जब थक के आँखे मूँदता तो एकाएक तुम सामने आ जाती।हाथ बढ़ाता,छूने की कोशिश करता पर हर बार नाकामी हाथ लगती।व्यस्त रहता पर व्यस्तता में अब भी तुम्हारा स्मरण बड़ा सुकुन देता दिल को।बदल जाता मेरा सारा आवेग और मै फिर शांत हो जाता पहले की तरह।
आज यूँही छुट्टी के दिन अपनी डायरी पलटता रहा और यादों के आसमान में जगमगाते गुजरे लम्हों के सितारों को निहारता रहा।एक खाश तारिख ने एकाएक मुझे चौंका दिया।पता नहीं यह कैसा संयोग था कि बार बार बिछड़ कर हम उस रोज मिल जाते थे।पर इस बार किसी सम्भावना की गुजारिश ना थी क्योंकि अब शायद वो खाश तारिख भी सामान्य सा प्रतीत होने लगा था।उस डायरी में तुम्हारे लिये लिखे हुये मेरे बहुत से प्रेम पत्र थे जो अब तक तुम तक ना पहुँच पाये थे और ना ही मै ही कभी कह सका था उन बातों को तुमसे।वे बातें अकेले में हमेशा मुझसे पूछते "क्या है असमर्थता तुम्हारी?" आखिर क्यूँ ना कह सका तू वो बात अब तक जो न जाने कब से तूने अपने डायरी में लिख रखा है।और मै बस उन्हें ये ही कह पाता "कह दूँगा उसे उस रोज जब वो मेरी खामोशि को भी सुन लेगी।" और मेरे शब्द मेरी निःशब्दता से कुंठित होकर बस पन्नों से झाँकते रहते।
तुमसे दूर जाने के बाद क्या पाया मैने?तुमको खो देने के बाद और क्या खोना है मुझे?तुम थी तो बहुत कुछ था खोने को और पाने को भी।पर अब ना तुम हो और ना ही कुछ खोना और पाना।तुम शायद खुश हो मुझसे दूर होकर और मै अब भी बस बेचैन।तुम्हारी खुशी का कारण है तुम्हारी निश्चिंतता क्योंकि तुम जानती हो मै अपनी मजबूरियों में कुछ सीमित सा हो गया हूँ।पर मेरी बेचैनी का एकमात्र कारण है तुमसे मेरा अलगाव।शायद तुम जानती हो मै तुमसे दूर नहीं रह सकता।पर क्या करुँ समय के सामने मजबूर खड़ा हूँ।
कल रात सारी चिंताओं को भूलाकर और अपनी व्यस्त दिनचर्या से निजात पाने के लिये मै स्वच्छंदता से यादों के आसमान में आया था गुजरे लम्हों के कुछ सितारों को छूने के लिये।कुछ सितारों को मुट्ठी में कैद करना चाहता था जो सुनहरे लम्हें मेरी जिंदगी की कहानी कहते थे।हर एक लम्हें में तुम साथ थी मेरे और मै निर्भिक होकर देखता तुमको।कुछ सितारों की चमक मद्धम थी क्योंकि तुम नहीं थी उनमें और मै तुम्हारा इंतजार कर रहा था।कुछ सितारा आसमान में सबसे ऊँचाई पर चमक रहा था।वह शायद अपने गुजरे प्यार भरे अतीत के सबसे स्वर्णिम क्षणों को व्यक्त कर रहा था।वे सारे मंजर मैने आज भी कैद कर के रखे है अपनी आँखों में।कभी तुम आओ और मेरी आँखों में झाँक कर देख लो "यादों के आसमान में जगमगाते गुजरे लम्हों के सितारे।"