Tuesday, January 25, 2011

कितना है गणतंत्र हमारा देश आज

गणतंत्रता के क्या है मायने आज हमारे देश में।हमें अपनी ६१वीं गणतंत्र दिवस के मौके पर यह जानने का पूरा हक है,कि इतने लम्बे अरसे में कितनी नियमों का निर्वाह हमारे देश में हुआ है और कितने ऐसे संवैधानिक नियम है जो आज भी बस संविधान के पन्नों में ही रह गये है।प्रत्येक भारतीय का ये कर्तव्य है कि वो देश की अखण्डता को पूर्णरुपेन सार्वभौम बनाने हेतु हर पल प्रयासरत हो।
 हमारा देश भारतवर्ष एक जनतांत्रिक देश है।जहाँ जनता के द्वारा चुने गये प्रतिनिधियों द्वारा ही देश की शासन व्यवस्था चलायी जाती है।गणतंत्र दिवस हमारे देश के इतिहास का वो दिन है,जिस दिन संविधान पूर्णरुपेन लागू किया गया था।देश की समस्त गतिविधियाँ इन संवैधानिक नियमों के आधार पर ही सुचारु ढ़ँग से संचालित होती है।संविधान हमे जीने के तौर तरीके सीखाता है।एक सभ्य और कर्मठ राष्ट्र के सपने को साकार करता है हमारा संविधान।

देश की गणतंत्रता को बनाये रखने हेतु प्रशासन के साथ साथ जनता का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है।संविधान के नियम सबों के लिए बराबर होते है।वो किसी भी प्रकार के जातिभेद या वर्चस्व की भावना से ऊपर होता है।भ्रष्टाचार,बेरोजगारी और विभिन्न प्रकार के शोसन की मानसिकता आज भी हमारे देश के प्रगति के मार्ग में सुरसा सा मुँह खोले खड़ी है।आवश्यक्ता है कि युवाओं द्वारा अपनी बौद्धिक कौशल और हुनर के दम पर इन रुकावटों का मुँहतोड़ जवाब दिया जाये।

अगर हम सिर्फ अपनी उन्नति के बारे में सोचते है तो ये हमारी संकीर्ण मानसिकता का परिचायक है।हमे अपने देश और समाज के विषय में भी सोचने की आवश्यक्ता है।हमें ऐसे कार्यों की ओर स्वयं को अग्रसर करना है,जिनमें स्वयं के साथ सम्पूर्ण राष्ट्र की प्रगति भी सम्मिलीत हो।

गणतंत्र दिवस के रोज हमेशा की तरह झंडोतोलन करना,भाषण देना और कुछ मिनटों का मौन रखना अपने शहीदों के शहादत को याद कर।इन सब से कुछ नहीं होगा।कितने कष्टों से स्वयं की हर इक इच्छाओं की आहुति देकर हमारे जाबाज हमारे देश को परतंत्रता के बेड़ियों से मुक्त करवाये है।तभी तो सम्भव हुआ है ये गणतंत्र राष्ट्र।स्वतंत्रता के मार्ग में विकास की एक अग्रिम कड़ी है ये गणतंत्र दिवस।आज के दिन हमे इन बातों को आत्मसात करना चाहिए और विचार करना चाहिए कि कैसे,क्या किया जाये ताकि हमारे गणतंत्र के खुशबुदार फूल हमेशा यूँही महकते रहे और हमारे भारत देश रुपी बगिया में फैलते रहे इनकी खुशबु।

जैसे हमारा संविधान हमें अपने अधिकारों और कर्तव्यों की समझ देता है।वैसे ही हमें भी देश के प्रति अपनी भावना परिलक्षित करनी चाहिए।युवावर्ग जो कि किसी भी राष्ट्र की प्रगति और उसके भविष्य का एकमात्र कार्यवाहक होता है।युवाओं की सहनशीलता,कर्तव्यपरायणता और कर्मठता ही राष्ट्र की अखण्डता रुपी महल के लिएँ ईंट का कार्य करते है।एक एक ईंट मिलकर ही एक विशाल महल का निर्माण करता है।

आज जबकि हम इक्कीसवी सदी में कदम रख चुके है।तकनीक के साथ साथ लोगों की मानसिकता भी अब बदल चुकी है।ऐसे समय में गणतंत्र दिवस को सिर्फ एक राष्ट्रीय दिवस समझ कर अपने जिम्मेदारीयों से भागने का नहीं है,बल्कि संगठित और एकजुट होकर राष्ट्र के विकास हेतु आगे आने का है।अपनी भारत माँ के लिएँ कुछ ऐसे सपथ लेने का दिन है ये जो हमारे गणतंत्रता के मायनों को सम्मानित स्वरुप प्रदान करे।हमारा उज्जवल भविष्य बस राष्ट्र के उन्नत और विकसीत होने में ही सम्भव है।गणतंत्रता आज भी वही है,जो कल थी।बस सोचने के मायने बदल गये है।वो तो हर साल की भाँति २६ जनवरी को आती है पर शायद हम ही थोड़े अपने समय से पिछड़ गये है।समय की अहमियत को भूल गये है हम आज।