मेरे खुद के अंतरमन में उलझे हुये मेरे सवाल अब मानों खुद ही अपने जवाब से विमुख होकर,एक संशय सा बन गये है।मौन,खामोशि और चुप्पी ये जो बिल्कुल शांत और गम्भीर भाव है,अब मुझे बेवजह ही चिल्लाने को मजबूर कर रहे है।वेदना और अंतरमन की पीड़ा का मिश्रित स्वरुप न चाहते हुए भी आँसू बन कर जगजाहिर होना चाहते है।अपने आप पर भी तो विश्वास ना रहा,तो भला इन आँसूओं का क्या पता कब ये राज-ए-दिल खोल दे।और सदियों से जो जख्म दफन था मेरी धड़कनों में,जिसका वजूद मेरे अस्तित्व की सम्पूर्णता का बोध कराता था और जो दर्द मुझे हर पल जीने की एक नयी प्रेरणा देता था।वो जख्म फिर से यादों की पोटली में सना एक घाव बन कर मेरे सामने आ जाये।
मैने सीखाया था तुम्हें प्यार करना पर खुद शायद प्यार निभाना सीख ना पाया।बादलों की गोद में मेरा प्यार चाँद सा अठखेलियाँ लेता मानों लुकछीप का कोई खेल,खेल रहा हो मेरे साथ।कभी तुम्हारी आँखों मे अपना चेहरा देखता और कभी तुम्हारी नजरों से खुद को देखने की कोशिश करता।बड़े मजबूर और असहाय से मेरे हाथ हर बार कोशिश करते तुम्हारी हाथों को थामने की पर बेचारे न जाने किस अनहोनी की आशंका से भयभीत रहते।तुमसे कहना चाहते कुछ मेरे अंदर के भाव पर सामने पाकर तुम्हें सब भूल जाते और भावविभोर होकर आत्मसात कर लेते मिलन के हर एक क्षण को।
चुपके चुपके दुरी का एहसास और जुदाई का भय मेरे जेहन में एक अजीब सा डर पैदा कर देते थे।शाम होना,सूरज का डुबना और फिर एक घनघोर अँधेरी रात जिसका सुबह होता ही नहीं।ख्वाब का आना,टुट जाना फिर भी ये भ्रम की "अब भी कुछ बाकी है शायद"।टुटे ख्वाबों के भी सच होने का इंतजार करना और रात के अँधेरे में भी सूरज की चाहत करना मेरे लिए तो बस आम बात हो गयी थी।
प्रेम के तस्वीरों से गढ़ा हुआ अपना आईना आज चूर-चूर हो चुका है,पर फिर भी हर टुकड़े में ही तुम्हारी तस्वीर देखता और अचानक चूभ जाता एक काँच का टुकड़ा मेरे हाथों में और मेरे खुन से लाल हो जाता फर्श।शायद एहसास दिलाता "अब भी कुछ बाकी है शायद"।ये थोड़ा सा जो भी बाकी है,वो ही तो मेरे जीवन के बुझे हुए दिये में कुछ तेल सा है और मेरे मन की सूनी बागवानी का दो चार फूल है,जो कभी कभी वही खुशबु पैदा करता है जो तुम्हारे करीब होने से महसूस करता था मै।
जीवन का सफर अब बस मेरी खातिर इक बोझ ढ़ोने जैसा हो गया है।बेमन से और बेवजह ही अपने साँसों को इक दिशा देने की कोशिश कर रहा हूँ मै।जमाने वालों को लगता है "अब भी कुछ बाकी है शायद" और मेरे सब खो जाने की पीड़ा का एहसास तो खुद मूझे भी आज तक नहीं हो पाया है।क्यों मिला संसार मुझको पूरा भरा-भरा सा पर इक संसार को पाने के वास्ते खो दिया मैने इक दुजा संसार।वही जो था मेरे प्यार का संसार।खुशबु की वादियों में प्यार का मौसम।मै तुम्हारे सामने और तुम मेरे सामने।गुमशुम से रहते कुछ पल और कुछ पल बुनने लगते अपने ख्वाबों की दुनिया।कभी हँसते और खिलखिलाते हम दोनों और कभी कही छुप-छुप कर एकांत में आँसू भी बहा लेते।
सब कुछ खत्म हो जाने के बाद भी "अब भी कुछ बाकी है शायद"।शायद वो तुम्हारी यादें है,शायद वो तुम्हारी सूरत है मेरी आँखों में बसी या शायद वो मेरा अपना वजूद ही है,जिसमे जिंदा हो आज भी तुम और आँसू हर पल बह कर यही बतलाते रहते है "अब भी कुछ बाकी है शायद"।मेरी धड़कनों में जो साँस चलती है,मेरी चाहतों में जो ख्वाब पलती है और कभी कभी जो बेमौसम ही मेरी रग-रग दिवाली हो जाती है,तुम्हारी यादों की जगमगाती फुलझड़ीयों से तो लगता है "अब भी कुछ बाकी है शायद"।और वो जो कुछ भी अभी बाकी है मुझमें,वही तो हमारे गुजरे अनोखे प्यार की सम्पूर्णता है।
मैने सीखाया था तुम्हें प्यार करना पर खुद शायद प्यार निभाना सीख ना पाया।बादलों की गोद में मेरा प्यार चाँद सा अठखेलियाँ लेता मानों लुकछीप का कोई खेल,खेल रहा हो मेरे साथ।कभी तुम्हारी आँखों मे अपना चेहरा देखता और कभी तुम्हारी नजरों से खुद को देखने की कोशिश करता।बड़े मजबूर और असहाय से मेरे हाथ हर बार कोशिश करते तुम्हारी हाथों को थामने की पर बेचारे न जाने किस अनहोनी की आशंका से भयभीत रहते।तुमसे कहना चाहते कुछ मेरे अंदर के भाव पर सामने पाकर तुम्हें सब भूल जाते और भावविभोर होकर आत्मसात कर लेते मिलन के हर एक क्षण को।
चुपके चुपके दुरी का एहसास और जुदाई का भय मेरे जेहन में एक अजीब सा डर पैदा कर देते थे।शाम होना,सूरज का डुबना और फिर एक घनघोर अँधेरी रात जिसका सुबह होता ही नहीं।ख्वाब का आना,टुट जाना फिर भी ये भ्रम की "अब भी कुछ बाकी है शायद"।टुटे ख्वाबों के भी सच होने का इंतजार करना और रात के अँधेरे में भी सूरज की चाहत करना मेरे लिए तो बस आम बात हो गयी थी।
प्रेम के तस्वीरों से गढ़ा हुआ अपना आईना आज चूर-चूर हो चुका है,पर फिर भी हर टुकड़े में ही तुम्हारी तस्वीर देखता और अचानक चूभ जाता एक काँच का टुकड़ा मेरे हाथों में और मेरे खुन से लाल हो जाता फर्श।शायद एहसास दिलाता "अब भी कुछ बाकी है शायद"।ये थोड़ा सा जो भी बाकी है,वो ही तो मेरे जीवन के बुझे हुए दिये में कुछ तेल सा है और मेरे मन की सूनी बागवानी का दो चार फूल है,जो कभी कभी वही खुशबु पैदा करता है जो तुम्हारे करीब होने से महसूस करता था मै।
जीवन का सफर अब बस मेरी खातिर इक बोझ ढ़ोने जैसा हो गया है।बेमन से और बेवजह ही अपने साँसों को इक दिशा देने की कोशिश कर रहा हूँ मै।जमाने वालों को लगता है "अब भी कुछ बाकी है शायद" और मेरे सब खो जाने की पीड़ा का एहसास तो खुद मूझे भी आज तक नहीं हो पाया है।क्यों मिला संसार मुझको पूरा भरा-भरा सा पर इक संसार को पाने के वास्ते खो दिया मैने इक दुजा संसार।वही जो था मेरे प्यार का संसार।खुशबु की वादियों में प्यार का मौसम।मै तुम्हारे सामने और तुम मेरे सामने।गुमशुम से रहते कुछ पल और कुछ पल बुनने लगते अपने ख्वाबों की दुनिया।कभी हँसते और खिलखिलाते हम दोनों और कभी कही छुप-छुप कर एकांत में आँसू भी बहा लेते।
सब कुछ खत्म हो जाने के बाद भी "अब भी कुछ बाकी है शायद"।शायद वो तुम्हारी यादें है,शायद वो तुम्हारी सूरत है मेरी आँखों में बसी या शायद वो मेरा अपना वजूद ही है,जिसमे जिंदा हो आज भी तुम और आँसू हर पल बह कर यही बतलाते रहते है "अब भी कुछ बाकी है शायद"।मेरी धड़कनों में जो साँस चलती है,मेरी चाहतों में जो ख्वाब पलती है और कभी कभी जो बेमौसम ही मेरी रग-रग दिवाली हो जाती है,तुम्हारी यादों की जगमगाती फुलझड़ीयों से तो लगता है "अब भी कुछ बाकी है शायद"।और वो जो कुछ भी अभी बाकी है मुझमें,वही तो हमारे गुजरे अनोखे प्यार की सम्पूर्णता है।
10 comments:
बहुत ही भावुक...बहुत ही मार्मिक...
बहुत ही सुन्दर हृदयस्पर्शी शब्द-दृश्य........
बेहतरीन प्रस्तुति..के लिए आपको बधाई।
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (10-3-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
बहुत ही हृदयस्पर्शी सुन्दर रचना बधाई ...
bouth he aacha post hai aapka dear read karke aacha lagaa
visit my blog plz
Download latest music
Lyrics mantra
प्यारभरी यादों की भावुकतापूर्ण जुगाली.
सुन्दरतम अभिव्यक्ति...
सही कहा आपने। अभी भी बाकी है कुछ शायद। अपने आप में ये लाईन ही बहुत कुछ कह जाती है।
very touchy
ब्लॉग की दुस्निया में आपका हार्दिक स्वागत |
बहुत ही सुन्दर लिखा है अपने |
अप्प मेरे ब्लॉग पे भी आना के कष्ट करे
http://vangaydinesh.blogspot.com/
बहुत सुन्दर लिखा है... वाकई में ...जिंदगी तो आगे चलती जाती है ...हमारे पास क्या है ...यादों का खजाना ... बहुत सुन्दर लिखा आपने..
mujhe to ye kahani bahut hi dil ko choone wali lagi bhai .. aap to bahut acha likte ho yaar.. yun hi likho .. badhayi
badhayi sweekar kijiye
------------------
मेरी नयी कविता " तेरा नाम " पर आप का स्वागत है .
आपसे निवेदन है की इस अवश्य पढ़िए और अपने कमेन्ट से इसे अनुग्रहित करे.
"""" इस कविता का लिंक है ::::
http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/02/blog-post.html
विजय
Post a Comment