सब तो है आज मेरे साथ,सारी खुशी है मेरे पास,फिर क्यों है इतनी उदासी?बिल्कुल उदास जीवन निरसता का मानों पर्याय बना गया हो।तुम बिन वो चीज जो मुझे बहुत अच्छी लगती थी,अब नहीं अच्छी लगती।कुछ भी तो नहीं भाता तुम बिन।बस एक तन्हाई ही साथी सा है मेरा अब,जो अपनी झोली में मेरी खातिर उदासीयाँ भर लाता है।अकेला मै और न जाने कहाँ अकेली तुम।अब तो कोई फर्क नहीं पड़ता तुम्हें मेरी उदासी या खुशी से।अब तो भूल गई हो तुम सब कुछ।
हर शाम यादों को लाती और न चाहते हुये भी उदासी मुझे घेर लेती।बिल्कुल अकेला खड़ा मै अपने जीवन के वीरान राहों पे बड़ा उदास हो जाता।आँखे कभी कभी ढ़ुँढ़ती तुम्हें यहाँ वहाँ पर फिर बेचारी थक कर सो जाती।सुबह से रात तक कितने ख्वाब संजोता मै परन्तु फिर रात का डरावना ख्वाब सब चकनाचूर कर देता।चाहता मै कुछ प्रणय गीत लिखूँ आज पर क्या करुँ उदासी भरे नगमें ही बना पाता।चाहता आज लिखूँ उस क्षण के बारे में जब तुम मिली थी मुझे पहली बार,पर हर बार वो आखिरी रात ही याद आता मुझे और उदास जिंदगी की तन्हा राहों पर फिर अकेला बेसुध सा मै चल पड़ता ढ़ुँढ़ने तुम्हें।
इक कमी जिसके पूरे होने का स्वप्न मै रोज देखता,पता है वो तुम्हारा अभाव ही है मेरे जीवन में।बहुत सी बातें कहने को जी में आता,पर कहाँ आती हो तुम अब पास उन्हें सुनने।मै अब कैसा हूँ,जानती हो,क्या कोई परवाह नहीं तुम्हें?पर कभी तो बड़ी चिंता होती थी तुम्हें मेरी खातिर।पर क्या अब जमाना बदल गया इतनी जल्दी।तुम कहती मुझसे अपने दिल की बात और मै तुम्हें ढ़ाँढ़स बँधाता।अब क्या कोई बात तुम्हारे दिल में नहीं पलते या मुझसे कहना अच्छा नहीं लगता।
कभी कभी अजनबी बनने की तुम्हारी कोशिश हर बार हमे और करीब लाती और आज क्यों इतने करीब होकर भी हम एक दूसरे को पहचान नहीं पा रहे।कुछ तो है तुम्हारे दिल में जो मुझसे कहना चाहती हो अब भी तुम।पर मेरी उदासी तो मानों मुझे बिल्कुल अकेला और एकाकी बना दिया है।अब खुद से पूछता,खुद पे हँसता और कभी कभी पागलों की तरह तुमसे बात भी कर लेता।इक झुठी तसल्ली दे देता दिल को पर फिर उदासी अपना दामन फैला कर समेट लेती मुझे खुद में।
साँसे तो चलती रहती पर ऐसा लगता अब भी धड़कन तुम्हारे दिल में ही धड़क रही हो।क्योंकि काबू नहीं रह पाता अपनी धड़कनों पर।तुम बिन कई सदियाँ यूँही उदास बीत जाती,कितने मौसम यूँही तपाते,बरसते और मुझे कई बार भींगा के चले जाते।तुम बिन बस इक तुम्हारी ही तमन्ना जीवन का लक्ष्य होती और आखिरी साँस में भी तुमसे मिलने की झुठी ख्वाहिश करती।
तुम नहीं आती,न मै ही तुमसे मिल पाता और बस इक उदास जिंदगी में तन्हाईयों से ही दोस्ती करने की कोशिश करता।तुमको उन उदास पलों में कभी छत पे अकेली खड़ी देख तुम्हारे पास जाता और फिर तुम गुम हो जाती।कभी तुम्हें उस झील के किनारे बैठा देखता और आँखों में मेरे इंतजार की बेचैनी तुम्हारे लाख छुपाने पर भी झलक जाती।कभी तुम्हें अपनी उदास जिंदगी में हर उन राहों पे खड़ी देखता जहाँ मेरा अकेलापन मुझे बिल्कुल अधीर बना देता और तुम्हारा साथ जीवन का सच्चा साथी होता।तु्म्हारे इंतजार में फिर भोर होती और फिर रात को बिस्तर पर कई घंटे बस तु्म्हारे बारे में सोचता रहता और फिर वही पुरानी उदासी घेर लेती मुझे चारों तरफ से और मै अकेला बिल्कुल अकेला हो जाता सब के बीच तुम बिन।
हर शाम यादों को लाती और न चाहते हुये भी उदासी मुझे घेर लेती।बिल्कुल अकेला खड़ा मै अपने जीवन के वीरान राहों पे बड़ा उदास हो जाता।आँखे कभी कभी ढ़ुँढ़ती तुम्हें यहाँ वहाँ पर फिर बेचारी थक कर सो जाती।सुबह से रात तक कितने ख्वाब संजोता मै परन्तु फिर रात का डरावना ख्वाब सब चकनाचूर कर देता।चाहता मै कुछ प्रणय गीत लिखूँ आज पर क्या करुँ उदासी भरे नगमें ही बना पाता।चाहता आज लिखूँ उस क्षण के बारे में जब तुम मिली थी मुझे पहली बार,पर हर बार वो आखिरी रात ही याद आता मुझे और उदास जिंदगी की तन्हा राहों पर फिर अकेला बेसुध सा मै चल पड़ता ढ़ुँढ़ने तुम्हें।
इक कमी जिसके पूरे होने का स्वप्न मै रोज देखता,पता है वो तुम्हारा अभाव ही है मेरे जीवन में।बहुत सी बातें कहने को जी में आता,पर कहाँ आती हो तुम अब पास उन्हें सुनने।मै अब कैसा हूँ,जानती हो,क्या कोई परवाह नहीं तुम्हें?पर कभी तो बड़ी चिंता होती थी तुम्हें मेरी खातिर।पर क्या अब जमाना बदल गया इतनी जल्दी।तुम कहती मुझसे अपने दिल की बात और मै तुम्हें ढ़ाँढ़स बँधाता।अब क्या कोई बात तुम्हारे दिल में नहीं पलते या मुझसे कहना अच्छा नहीं लगता।
कभी कभी अजनबी बनने की तुम्हारी कोशिश हर बार हमे और करीब लाती और आज क्यों इतने करीब होकर भी हम एक दूसरे को पहचान नहीं पा रहे।कुछ तो है तुम्हारे दिल में जो मुझसे कहना चाहती हो अब भी तुम।पर मेरी उदासी तो मानों मुझे बिल्कुल अकेला और एकाकी बना दिया है।अब खुद से पूछता,खुद पे हँसता और कभी कभी पागलों की तरह तुमसे बात भी कर लेता।इक झुठी तसल्ली दे देता दिल को पर फिर उदासी अपना दामन फैला कर समेट लेती मुझे खुद में।
साँसे तो चलती रहती पर ऐसा लगता अब भी धड़कन तुम्हारे दिल में ही धड़क रही हो।क्योंकि काबू नहीं रह पाता अपनी धड़कनों पर।तुम बिन कई सदियाँ यूँही उदास बीत जाती,कितने मौसम यूँही तपाते,बरसते और मुझे कई बार भींगा के चले जाते।तुम बिन बस इक तुम्हारी ही तमन्ना जीवन का लक्ष्य होती और आखिरी साँस में भी तुमसे मिलने की झुठी ख्वाहिश करती।
तुम नहीं आती,न मै ही तुमसे मिल पाता और बस इक उदास जिंदगी में तन्हाईयों से ही दोस्ती करने की कोशिश करता।तुमको उन उदास पलों में कभी छत पे अकेली खड़ी देख तुम्हारे पास जाता और फिर तुम गुम हो जाती।कभी तुम्हें उस झील के किनारे बैठा देखता और आँखों में मेरे इंतजार की बेचैनी तुम्हारे लाख छुपाने पर भी झलक जाती।कभी तुम्हें अपनी उदास जिंदगी में हर उन राहों पे खड़ी देखता जहाँ मेरा अकेलापन मुझे बिल्कुल अधीर बना देता और तुम्हारा साथ जीवन का सच्चा साथी होता।तु्म्हारे इंतजार में फिर भोर होती और फिर रात को बिस्तर पर कई घंटे बस तु्म्हारे बारे में सोचता रहता और फिर वही पुरानी उदासी घेर लेती मुझे चारों तरफ से और मै अकेला बिल्कुल अकेला हो जाता सब के बीच तुम बिन।
22 comments:
मै अकेला बिल्कुल अकेला हो जाता सब के बीच तुम बिन
sundar bhavabhivyakti.
bhut acchhi hai.....yahi sacchhai hai zindgi ki...bs uske upar hai ki koun kitni jaldi samjh jaye...bhut sundar bichro me guthi hui...vabnaayo ko darsati hai ye aapki rachna....
उदासी भरी कोमल अभिव्यक्ति...
Arthpurn rachna.
मन के भावों को मार्मिकता के साथ उकेरा है ! एक हृदयस्पर्शी और संवेदनशील प्रस्तुति ! बधाई एवं आभार !
अपने अकेलेपन को दर्द के माध्यम से खूबसूरती से दर्शाने में कामयाब खुबसूरत रचना |
एक हृदयस्पर्शी और संवेदनशील प्रस्तुति !
ब्लैक बैकग्राउंड में ब्लैक फ़ॉंट होने से पढने में असहजता महसूस होती है।
य तो फ़ॉंट श्वेत कर दें या बैकग्राउंड।
भावाभिव्यक्ति मर्मस्पर्शी है।
बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !
शुभकामनायें एवं साधुवाद !
यह दर्द उदासी वाली पोस्ट चर्चामंच पर होगी... आप वह आ कर अपने विचारों से अनुग्रहित करियेगा ... सादर
चर्चामंच
मेरे ब्लॉग में भी आपका स्वागत है - अमृतरस ब्लॉग
sundar ,bahut sundar ...
उदासी से भरी-
मर्मस्पर्शी प्रस्तुति
उफ़ इतना अकेलापन...... मगर एक सच ये भी है जिंदगी का..... सबसे कठिन होता है इन भावनाओं को शब्दों का रूप देना, जो कि आपने बखूबी किया है..... बहुत अच्छा लेखन....
akela mann kitna mukhar ho jata hai...
उदासी अकेलेपन और प्रेम के भावो को बहुत सुन्दरता से प्रस्तुत किया है …………कभी कभी ऐसा वक्त भी आता है पास होकर भी दूरियाँ हो जाती हैं।
सुन्दर प्रस्तुति
आप सब को नवसंवत्सर तथा नवरात्रि पर्व की मंगलकामनाएं.
उदासी भरी ...:(
जय मां हाटेशवरी.......
आपने लिखा....
हमने पढ़ा......
हम चाहते हैं कि इसे सभी पढ़ें.....
इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना.......
दिनांक 25/08/2021 को.....
पांच लिंकों का आनंद पर.....
लिंक की जा रही है......
आप भी इस चर्चा में......
सादर आमंतरित है.....
धन्यवाद।
बेहद हृदयस्पर्शी सृजन
इतनी उदासी....
बहुत ही हृदयस्पर्शी सृजन।
बस एक तन्हाई ही साथी सा है मेरा अब,जो अपनी झोली में मेरी खातिर उदासीयाँ भर लाता है।अकेला मै और न जाने कहाँ अकेली तुम।अब तो कोई फर्क नहीं पड़ता तुम्हें मेरी उदासी या खुशी से।अब तो भूल गई हो तुम सब कुछ। हिंदी फनी जोक्स पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।
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