शायद तुम्हे है पता कि मै "बस यूँ ही" नहीं लिखता।शायद तुम जान सकती हो मुझे और समझ सकती हो,कि हमारा वजूद "बस यूँ ही" नहीं है।इन आसान से लब्जों से कई बार तुमने अपने दिल में उमरते तूफान को छुपा लिया था,कई बार आँखों ही आँखों में सूख गयी थी आँसूओं की वो बरसात।और तुमने ये कह कर हर बार टाल दिया था मुझे "बस यूँ ही"।घर के कोणे वाले उस कमरे में छुप छुप कर तुम क्या करती थी?आँसूओं को यूँ ही बहाती और यादों के हर एक लम्हें को जीती रहती।
बस कुछ पल का साथ ही तुम्हारा "बस यूँ ही" सारी जिंदगी का हमसफर माँगता था मुझसे पर मेरी असमर्थता को शायद ही कोई समझे।मै चाहता कर दूँ अपनी तमाम जिंदगी बस तुम्हारे नाम।हर साँस के हर पोर में बस समा जाओ तुम और नजरों से जहाँ तक देख सकूँ मै,बस तुम्ही दिख जाओ।कितनी बातें करुँ तुमसे पर वो जो कुछ अनकही है हमारे बीच वो कैसे बयां हो पाये?कहने से भला कह सकता दिल की बात तो कब का कह दिया होता,पर उन बेजुबान लब्जों को शब्द देना मेरे लिए बड़ा ही मुश्किल था।कभी ऐसा लगता मेरी ईशारों में मेरा इजहार तुम तक पहुँच गया है,पर फिर नादान दिल की बेचैनी लब्जों पे आकर ही टीक जाती और मै गुमशुम सा सोचता रहता क्या करुँ?
मजबूरियों में बँधे हम दोनों,अपनी मजबूरी की दास्ता बयां भी नहीं कर पाते और भावनाओं के खेल में उलझे उलझे "बस यूँ ही" गमों के सैलाब में कभी कभी डुबकी लगा लेते।तुमसे मै पूछता क्यों तुमको इतना ख्याल है मेरा,क्यों तुम मुझसे बातें करती हो और जानती हो तुम कि मै ना आऊँगा कभी,फिर भी इंतजार करती हो मेरा।और तुम तो बस एक शब्द कहती "बस यूँ ही" और सच में "बस यूँ ही" जिंदगी से मुलाकात हो जाती हमारी उस रोज।
तुमको ऐसे पाने की चाहत और तेरी खातिर बस जख्मी दिल को राहत।एहसास कराता मुझे शायद तुम हो कही साथ मेरे।ऐसा लगता कि कोई बड़ा पुराना नाता है तुमसे,जो मुझे बार बार खिंच कर लाता है तुम्हारे पास वरना दो पल की बातचीत कभी भी जिंदगी की कहानी सी नहीं लगती।मेरी भावनायें तुम समझ जाती बिन कहे और तुम्हारी भावनाओं को मै महसूस करता और जब दिल पूछता आखिर ये क्या है,तो धीरे से कह देते उससे "बस यूँ ही"।तुम "बस यूँ ही" बस जाती मेरे जेहनोदिल में और इतेफाक से ही इक नयी दुनिया के हमसाये से बन जाते हम दोनों।
अपनी भावनाओं पर काबू पाना शायद तुमने ही सिखलाया था मुझे और आज जब मै दूर जा रहा हूँ तुमसे तो कहती हो "वापस आ जाओ ना"।भला क्यों आऊँ मै तुम्हारे पास,जबकि जानता हूँ कुछ नहीं है हमारे बीच वो तो "बस यूँ ही" है।तुम जानती हो ये जो बात है ना "बस यूँ ही" बिल्कुल वैसा ही है,जैसे हम किसी संवेदना को महसूस करते है पर देख नहीं पाते।नहीं होता पता हमे उसके पीछे का सच।क्या सम्मोहन होता इन बातों में वो तो बस वो ही जान पाता,जो बार बार दुहराता इन शब्दों को।
मै जानता हूँ बेवजह ही तुम इंतजार कर रही होगी मेरा "बस यूँ ही"।पर जानती हो मै सच कहूँ ये इंतजार बड़ा प्यारा होता है।तुम्हारे बिन तुम्हारी यादों के सायों के संग जीना तो बड़ा ही खुबसुरत एहसास होता है।चलो कोई बात नहीं हम नहीं है आपके पर बस इक गुजारिश है इस पागल दिल की "बस यूँ ही" बेवजह ही मिलती रहना तुम हर रोज,ताकि जिस जिंदगी को छोड़ के बड़ी दूर जाना चाहता था मै।"बस यूँ ही" उसे पाने की इक झूठी तमन्ना दिल में पालता रहूँ सारी उम्र।
बस कुछ पल का साथ ही तुम्हारा "बस यूँ ही" सारी जिंदगी का हमसफर माँगता था मुझसे पर मेरी असमर्थता को शायद ही कोई समझे।मै चाहता कर दूँ अपनी तमाम जिंदगी बस तुम्हारे नाम।हर साँस के हर पोर में बस समा जाओ तुम और नजरों से जहाँ तक देख सकूँ मै,बस तुम्ही दिख जाओ।कितनी बातें करुँ तुमसे पर वो जो कुछ अनकही है हमारे बीच वो कैसे बयां हो पाये?कहने से भला कह सकता दिल की बात तो कब का कह दिया होता,पर उन बेजुबान लब्जों को शब्द देना मेरे लिए बड़ा ही मुश्किल था।कभी ऐसा लगता मेरी ईशारों में मेरा इजहार तुम तक पहुँच गया है,पर फिर नादान दिल की बेचैनी लब्जों पे आकर ही टीक जाती और मै गुमशुम सा सोचता रहता क्या करुँ?
मजबूरियों में बँधे हम दोनों,अपनी मजबूरी की दास्ता बयां भी नहीं कर पाते और भावनाओं के खेल में उलझे उलझे "बस यूँ ही" गमों के सैलाब में कभी कभी डुबकी लगा लेते।तुमसे मै पूछता क्यों तुमको इतना ख्याल है मेरा,क्यों तुम मुझसे बातें करती हो और जानती हो तुम कि मै ना आऊँगा कभी,फिर भी इंतजार करती हो मेरा।और तुम तो बस एक शब्द कहती "बस यूँ ही" और सच में "बस यूँ ही" जिंदगी से मुलाकात हो जाती हमारी उस रोज।
तुमको ऐसे पाने की चाहत और तेरी खातिर बस जख्मी दिल को राहत।एहसास कराता मुझे शायद तुम हो कही साथ मेरे।ऐसा लगता कि कोई बड़ा पुराना नाता है तुमसे,जो मुझे बार बार खिंच कर लाता है तुम्हारे पास वरना दो पल की बातचीत कभी भी जिंदगी की कहानी सी नहीं लगती।मेरी भावनायें तुम समझ जाती बिन कहे और तुम्हारी भावनाओं को मै महसूस करता और जब दिल पूछता आखिर ये क्या है,तो धीरे से कह देते उससे "बस यूँ ही"।तुम "बस यूँ ही" बस जाती मेरे जेहनोदिल में और इतेफाक से ही इक नयी दुनिया के हमसाये से बन जाते हम दोनों।
अपनी भावनाओं पर काबू पाना शायद तुमने ही सिखलाया था मुझे और आज जब मै दूर जा रहा हूँ तुमसे तो कहती हो "वापस आ जाओ ना"।भला क्यों आऊँ मै तुम्हारे पास,जबकि जानता हूँ कुछ नहीं है हमारे बीच वो तो "बस यूँ ही" है।तुम जानती हो ये जो बात है ना "बस यूँ ही" बिल्कुल वैसा ही है,जैसे हम किसी संवेदना को महसूस करते है पर देख नहीं पाते।नहीं होता पता हमे उसके पीछे का सच।क्या सम्मोहन होता इन बातों में वो तो बस वो ही जान पाता,जो बार बार दुहराता इन शब्दों को।
मै जानता हूँ बेवजह ही तुम इंतजार कर रही होगी मेरा "बस यूँ ही"।पर जानती हो मै सच कहूँ ये इंतजार बड़ा प्यारा होता है।तुम्हारे बिन तुम्हारी यादों के सायों के संग जीना तो बड़ा ही खुबसुरत एहसास होता है।चलो कोई बात नहीं हम नहीं है आपके पर बस इक गुजारिश है इस पागल दिल की "बस यूँ ही" बेवजह ही मिलती रहना तुम हर रोज,ताकि जिस जिंदगी को छोड़ के बड़ी दूर जाना चाहता था मै।"बस यूँ ही" उसे पाने की इक झूठी तमन्ना दिल में पालता रहूँ सारी उम्र।
12 comments:
huuuuuuuuuuu kitna khucchh kahoge aap bas uhi uhi me....mtlb to bas likhne bala hi janta hai...bhut khubsurat likha aapne...bas u hi umar gujarti rahe...aap likhte raho hum padhte rahe......very touching.....
मर्मस्पर्शी एवं भावपूर्ण पंक्तियों के लिए कोटिश: बधाई !
भावमय अभिव्यक्ति। आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनायें।
आपको एवं आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें!
आपको सपरिवार होली के शुभ अवसर पर हार्दिक शुभ कामनाएं |
आशा
बहुत भावभीनी सी प्रस्तुति ...होली की शुभकामनायें
नर्म अहसासो की सुन्दर बानगी…………॥आपको और आपके पूरे परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
आपसभी को आपके पूरे परिवार संग होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
बहुत सुन्दर भावमय अभिव्यक्ति
आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएं
आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद।
waah... kya baat hai... kitni khoobsoorat batein bas yunhi likh di...
आज 21/08/2012 को आपकी यह पोस्ट (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
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