बस कुछ पल और कुछ क्षण ही शेष रह गया है।पुराना साल बितने वाला है,और नये साल के आगमन की तैयारियाँ हो रही है।सभी नये साल में इक नया संकल्प लेते है,इक नये जीवन की शुरुआत का प्रण।बहुत अनोखा और अजीब होता है न बस इक पल में कोई गुजरा जमाना बन जाता है और नवांगतुक पे सब की आँखे ठहर जाती है।पुराने दिन गुजरे जमाने बन जाते है,और नई साल नया आगाज लेके आता है।
मेरे पास बस अब थोड़ा समय बाकी है।मैने सोचा क्यों ना आज पुराने साल की कुछ यादों को दुहरा लिया जाए।इस साल मैने क्या किया,क्या पाया,क्या खोया।किन लोगों से मिला,जिन्हे कभी ना भूल सकता हूँ।कौन सा ऐसा क्षण था,जो सदियों तक यादगार रहेगा।कितने नये रिश्ते बने,कितने पुराने रिश्ते टुट गए।
इक नया सीजन मेरे जीवन में इसे लव सीजन की उपाधि मिली।कोई मिला और बस गया दिल में।कौन थी वो ये मै नहीं बतलाऊँगा,क्योंकि यादों का कोई नाम या शक्ल तो होता नहीं।वो तो बस एक हवा के झोंको सा होता है।आता है और उड़ा ले जाता है,हमारी संवेदनाओं को,हमारी भावनाओं को।और बाद में बेचारे इन आँखों को दो आँसू दे जाता है।
कभी कभी ऊब जाता हूँ मै हर बार घर से कालेज जाना,फिर से वही पढ़ाई करना।ये कैसा जीवन है मेरा?पर क्या करु मजबूर हूँ।जिंदगी के इन्ही कालचक्रों में तो घुमता रहता है इंसान।क्या करे?जानते है कुछ भी नहीं है जो अपना है।एक क्षण भी ऐसा नहीं है जो ठहर सकता है।पर इंसान वही है जो इस बहाव में भी खुद को संतुलित रख बहता जाता है।
यादे आती है बहाती है,उड़ा ले जाती है।समय हर जख्म को भरता जाता है।बीते हर पल को भूलता जाता है इंसान और नये सपने हर रात संजो लेता है।कल्पना की उड़ान में उड़ती हमारी भावनाएँ सहमती,थपेड़ों को सहती हर पल बस गाये जाती है,जिंदगी का वो गीत जो खामोश है।शब्द के बिना भला यादों की बारात से सजी जिंदगी बड़ी ही खुबसूरत होती है।ये मुझे तब एहसास होता है जब कभी मै पुरानी यादों में खो जाता हूँ और कल में जी लेता हूँ कुछ पल..............।
मेरे पास बस अब थोड़ा समय बाकी है।मैने सोचा क्यों ना आज पुराने साल की कुछ यादों को दुहरा लिया जाए।इस साल मैने क्या किया,क्या पाया,क्या खोया।किन लोगों से मिला,जिन्हे कभी ना भूल सकता हूँ।कौन सा ऐसा क्षण था,जो सदियों तक यादगार रहेगा।कितने नये रिश्ते बने,कितने पुराने रिश्ते टुट गए।
इक नया सीजन मेरे जीवन में इसे लव सीजन की उपाधि मिली।कोई मिला और बस गया दिल में।कौन थी वो ये मै नहीं बतलाऊँगा,क्योंकि यादों का कोई नाम या शक्ल तो होता नहीं।वो तो बस एक हवा के झोंको सा होता है।आता है और उड़ा ले जाता है,हमारी संवेदनाओं को,हमारी भावनाओं को।और बाद में बेचारे इन आँखों को दो आँसू दे जाता है।
कभी कभी ऊब जाता हूँ मै हर बार घर से कालेज जाना,फिर से वही पढ़ाई करना।ये कैसा जीवन है मेरा?पर क्या करु मजबूर हूँ।जिंदगी के इन्ही कालचक्रों में तो घुमता रहता है इंसान।क्या करे?जानते है कुछ भी नहीं है जो अपना है।एक क्षण भी ऐसा नहीं है जो ठहर सकता है।पर इंसान वही है जो इस बहाव में भी खुद को संतुलित रख बहता जाता है।
यादे आती है बहाती है,उड़ा ले जाती है।समय हर जख्म को भरता जाता है।बीते हर पल को भूलता जाता है इंसान और नये सपने हर रात संजो लेता है।कल्पना की उड़ान में उड़ती हमारी भावनाएँ सहमती,थपेड़ों को सहती हर पल बस गाये जाती है,जिंदगी का वो गीत जो खामोश है।शब्द के बिना भला यादों की बारात से सजी जिंदगी बड़ी ही खुबसूरत होती है।ये मुझे तब एहसास होता है जब कभी मै पुरानी यादों में खो जाता हूँ और कल में जी लेता हूँ कुछ पल..............।